रूह से हुई मोहब्बत समझने में ज़िन्दगी गुजर जाती है
➤➤➤➤➤➤
जाकर कोई वापस नहीं आता
जाने क्यों आज वहां जाने को जी चाहता है
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तुमसे ही रूठ कर तुम्ही को याद करते हैं
हमे तो ठीक से नाराज़ होना भी नही आता
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एक अच्छा “रिश्ता हमेंशा हवा” की तरह होना चाहिए
खामोश” मगर हमेशा “आसपास”
➤➤➤➤➤➤
दम नहीं किसी में,जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है,नेक इरादो को नहीं
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अब हम इश्क के उस मुक़ाम पर आ चुके हैं.
जहां दिल किसी और को चाहे भी तो गुनाह होता है
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मेरे अल्फाज़ भी नाराज़ है मुझसे
मैं वो लिख नहीं पा रहा हूँ, जो महसूस कर रहा हूँ,
➤➤➤➤➤➤
जिस्म से होने वाली मोहब्बत का इज़हार आसान होता है
रूह से हुई मोहब्बत समझने में ज़िन्दगी गुजर जाती है
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जाकर कोई वापस नहीं आता
जाने क्यों आज वहां जाने को जी चाहता है
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तुमसे ही रूठ कर तुम्ही को याद करते हैं
हमे तो ठीक से नाराज़ होना भी नही आता
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एक अच्छा “रिश्ता हमेंशा हवा” की तरह होना चाहिए
खामोश” मगर हमेशा “आसपास”
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दम नहीं किसी में,जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है,नेक इरादो को नहीं
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अब हम इश्क के उस मुक़ाम पर आ चुके हैं.
जहां दिल किसी और को चाहे भी तो गुनाह होता है
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मेरे अल्फाज़ भी नाराज़ है मुझसे
मैं वो लिख नहीं पा रहा हूँ, जो महसूस कर रहा हूँ,
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जिस्म से होने वाली मोहब्बत का इज़हार आसान होता है
रूह से हुई मोहब्बत समझने में ज़िन्दगी गुजर जाती है
➤➤➤➤➤➤
जाकर कोई वापस नहीं आता
जाने क्यों आज वहां जाने को जी चाहता है
➤➤➤➤➤➤
तुमसे ही रूठ कर तुम्ही को याद करते हैं
हमे तो ठीक से नाराज़ होना भी नही आता
➤➤➤➤➤➤
एक अच्छा “रिश्ता हमेंशा हवा” की तरह होना चाहिए
खामोश” मगर हमेशा “आसपास”
➤➤➤➤➤➤
दम नहीं किसी में,जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है,नेक इरादो को नहीं
➤➤➤➤➤➤
अब हम इश्क के उस मुक़ाम पर आ चुके हैं.
जहां दिल किसी और को चाहे भी तो गुनाह होता है
➤➤➤➤➤➤
मेरे अल्फाज़ भी नाराज़ है मुझसे
मैं वो लिख नहीं पा रहा हूँ, जो महसूस कर रहा हूँ,
सामान बाँध लिया है मैंने अपना अब बताओ,
कहाँ रहते हैं वो लोग जो कहीं के नहीं रहते
हादसोँ के गवाह हम भी हैँ,
अपने दिल से तबाह हम भी हैँ,
जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली,
ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैँ
सच मान लीजिए चेहरे पर धूल है
इल्जाम आइनों पर लगाना फिजूल है
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी यारो…
नमक भी उसने अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर…!!!
सीख नहीं पा रहा हूँ
मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच ने हमसे न जाने
कितने लोग छीन लिए।
सच मान लीजिए चेहरे पर धूल है
इल्जाम आइनों पर लगाना फिजूल है
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी यारो…
नमक भी उसने अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर…!!!
सीख नहीं पा रहा हूँ
मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच ने हमसे न जाने
कितने लोग छीन लिए।
किस्मत 😌 के दरवाजे 🚪 भी खुल जाते ☝ है, अगर 💔🥃सच्ची मोहब्बत🥃💔 हमारे साथ 👫 हो.
भरी महफ़िल 👫👫 मे मोहब्बत 😍 का जिक्र हुआ, हमने 👦 तो सिर्फ़ आप 👩 की ओर देखा 👀 और लोग 👫 वाह वाह 😘 करने लगे.
🍒 उन्होंनेमुझसेकहा
🍒 आपकीआँखेबहुतखुबसूरतहैं
🍒 मैंनेकहाये
🍒 तेरा ख्वाब जो देखती_हैं…